पोज़ेसिव (Possessive)होने का क्या मतलब होता हे

"पोज़ेसिव" (Possessive) होने का मतलब होता है किसी व्यक्ति, वस्तु या रिश्ते पर बहुत ज़्यादा अधिकार जताना या यह महसूस करना कि वह सिर्फ़ आपका है और कोई और उससे दूर भी न जाए।
इसमें अक्सर ये भावनाएँ होती हैं:

जलन (jealousy): अगर कोई और आपके क़रीबी इंसान के साथ बात करे, तो बुरा लगना।

कंट्रोल करना: सामने वाले को क्या करना चाहिए या नहीं, ये तय करने की कोशिश करना।

डर: उसे खो देने का डर लगातार बना रहना।

असुरक्षा: अपने अंदर यह महसूस करना कि शायद आप उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं जितना चाहते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड बहुत ज़्यादा पोज़ेसिव है, तो वो चाहता है कि उनका पार्टनर किसी और से ज़्यादा बात न करे, कहीं अकेले न जाए, और हर चीज़ की जानकारी दे।

थोड़ा-बहुत पोज़ेसिव होना एक हद तक प्यार का हिस्सा हो सकता है, लेकिन ज़्यादा हो जाए तो ये रिश्ता तनावपूर्ण बना सकता है।

 हेल्दी और अनहेल्दी पोज़ेसिवनेस में क्या फर्क होता है।

हेल्दी और अनहेल्दी पोज़ेसिवनेस में फर्क समझना बहुत ज़रूरी है, खासकर रिश्तों में। चलो दोनों को आसान भाषा में समझते हैं:
1. हेल्दी पोज़ेसिवनेस (Healthy Possessiveness):

प्यार और केयर की भावना होती है।
जैसे: "तुम मेरे लिए खास हो, मैं तुम्हारी फिक्र करता हूँ।"

सीमाओं (boundaries) की इज़्ज़त होती है।
सामने वाले की पर्सनल स्पेस को समझते हैं।

ट्रस्ट होता है।
थोड़ी जलन हो सकती है, लेकिन उस पर कंट्रोल होता है।

कम्युनिकेशन क्लियर होता है।
अगर कुछ खटकता है, तो प्यार से बताया जाता है।

उदाहरण:
"मुझे अच्छा नहीं लगा जब तुमने उस लड़के से देर तक बात की, लेकिन मुझे तुम पर भरोसा है।"

2. अनहेल्दी पोज़ेसिवनेस (Unhealthy Possessiveness):

ज़्यादा शक और जलन होती है। जैसे: "तुम मुझसे बात करो, किसी और से नहीं।"

रिश्ते में कंट्रोल करने की आदत होती है। जैसे: क्या पहनना है, किससे बात करनी है – सब पर रोक।

स्पेस और आज़ादी नहीं दी जाती। हर वक्त ट्रैक करना, फोन चेक करना।

भावनात्मक दबाव डाला जाता है। जैसे: "अगर मुझसे सच्चा प्यार करती हो, तो सब छोड़ दो।"

उदाहरण:
"तुमने उसके साथ क्यों हँस के बात की? अब मैं तुमसे बात नहीं करूँगा!"

नतीजा क्या होता है?

हेल्दी पोज़ेसिवनेस रिश्ता मज़बूत बनाती है।

अनहेल्दी पोज़ेसिवनेस रिश्ता तोड़ सकती है।

अगर तुम्हें लगे कि कोई बहुत ज़्यादा पोज़ेसिव है, तो उसे प्यार से समझाना ज़रूरी होता है — और कभी-कभी अपनी सीमाएँ तय करना भी।


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